श्रद्धा हत्याकांड की तरह Ankit Murder Case में भी पुलिस के सामने चुनौती, नहीं मिल रहे पुख्ता सबूत

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नई दिल्ली। अंकित की हत्या के मामले में पुलिस ने आरोपित उमेश व प्रवेश को गिरफ्तार कर जेल तो भेज दिया है, लेकिन पुलिस की टेंशन कम नहीं हुई है। पुलिस के पास अभी केवल इलेक्ट्रानिक व फोरेंसिक साक्ष्य ही हैं। शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस के पास नहीं है। हालांकि, पुलिस ने घटनास्थल से मृतक अंकित के बाल, नाखून आदि साक्ष्य जुटाए हैं, लेकिन इसमें भी डीएनए के मिलान में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि अंकित के ब्लड रिलेशन का कोई व्यक्ति उनके परिवार में नहीं है।
साक्ष्यों का अभाव
माता-पिता के साथ-साथ उनका कोई भाई-बहन जीवित नहीं है। बागपत के मुकुंदपुर गांव के युवक संजीव को पुलिस ने घटना का वादी बनाया है। वह भी मृतक के दूर का भाई लगता है। आरोपित उमेश की उसी गांव में ससुराल है। इसलिए आने वाले समय में वादी की कोर्ट में गवाही को लेकर भी संशय बना रहेगा।
साक्ष्यों के अभाव में चार्जशीट दाखिल करने से केस कमजोर होने की संभावना है। इस बात को पुलिस भी मान रही है। इसलिए दिन-रात अंकित के शव के अवशेषों की तलाश चल रही है। केवल इलेक्ट्रानिक व फोरेंसिक साक्ष्य से अंकित की हत्या की पुष्टि करना पुलिस के लिए कठिन होगा।
उधार ली गई रकम न चुकानी पड़े इसके लिए आरोपित उमेश ने साथी प्रवेश के साथ मिलकर अंकित की हत्या कर दी और शव के आरी से टुकड़े कर दिए और उनको अलग-अलग स्थानों पर फेंक दिया।
ये साक्ष्य हैं पुलिस के पास
मृतक अंकित का डेबिट कार्ड, मोबाइल फोन, चैटिंग, बाइक, हत्या में प्रयुक्त आरी, बैंक के कागजात, जले-अधजले कपड़े, रास्ते में लगी सीसीटीवी फुटेज जिसमें आरोपित आता-जाता दिख रहा है, आदि साक्ष्य पुलिस के पास हैं। पुलिस का दावा है कि ये तमाम साक्ष्य आरोपितों को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त है, लेकिन कानून के जानकार इनको कोर्ट में ट्रायल के दौरान इतना अधिक प्रभावी नहीं मान रहे हैं।

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